शनिवार, 19 नवंबर 2011

तुम इतना जो मुस्करा रहे हो -क्या गम है जिसको छुपा रहे हो

http://sound1.mp3pk.com/ghazals/jagjit_singh/khumaar/khumaar13(www.songs.pk).mp3

तुम इतना जो मुस्करा रहे हो -२
क्या गम है जिसको छुपा रहे हो -२
तुम इतना जो मुस्करा रहे हो

आँखों में नमी- हँसी लबो पर -२
क्या हाल है -क्या दिखा रहे हो -२

क्या गम है जिसको छुपा रहे हो -२
तुम इतना जो मुस्करा रहे हो


बन जायेगे जहर -पीते पीते -२
ये अश्क जो पीते जा रहे हो -२

क्या गम है जिसको छुपा रहे हो -२
तुम इतना जो मुस्करा रहे हो


जिन जख्मो को -वक्त भर चला है -२
तुम क्यों उन्हें- छेड़े जा रहे हो-२

क्या गम है जिसको छुपा रहे हो -२
तुम इतना जो मुस्करा रहे हो


रेखाओ का खेल है- मुक्कदर -२
रेखाओ से- मात खा रहे हो -२

क्या गम है जिसको छुपा रहे हो -२
तुम इतना जो मुस्करा रहे हो



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